
बिहार के रोहतास जिले की पहचान सिर्फ खेती-बाड़ी या प्राकृतिक खूबसूरती से ही नहीं है, बल्कि यहाँ का रोहतासगढ़ किला भी अपनी भव्यता और रहस्यमयी इतिहास के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यह किला लगभग 700 साल पुराना माना जाता है और आज भी इसमें छिपे रहस्य इतिहासकारों और आम लोगों को हैरान कर देते हैं।
इतिहास की झलक
रोहतासगढ़ किला का निर्माण 13वीं शताब्दी में कराया गया था। ऐसा कहा जाता है कि इस किले पर कई शासकों का शासन रहा—मुगल, अफगान और शेरशाह सूरी तक। इसकी वास्तुकला में हिंदू और इस्लामी कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
रहस्यमयी कहानियाँ
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स्थानीय लोगों का मानना है कि इस किले में गुप्त सुरंगें हैं जो कई किलोमीटर दूर तक जाती हैं।
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यहाँ के कुछ हिस्से आज भी इतने खतरनाक माने जाते हैं कि लोग सूर्यास्त के बाद वहाँ जाने से डरते हैं।
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कहा जाता है कि इस किले में छिपे खजाने की भी कहानियाँ पीढ़ियों से सुनाई जाती रही हैं।

वास्तुकला और खूबसूरती
किले की ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1500 फीट है। इसके विशाल दरवाजे, पत्थरों से बनी दीवारें और झीलनुमा तालाब इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। किले के भीतर कई महल, मंदिर और मस्जिद मौजूद हैं, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को और मजबूत करते हैं।

आज की स्थिति
आज यह किला पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। हालांकि इसकी देखभाल की कमी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह धीरे-धीरे खंडहर में बदल रहा है। फिर भी हर साल हजारों पर्यटक यहाँ आकर इसके इतिहास और रहस्यों को जानने की कोशिश करते हैं।
निष्कर्ष
रोहतासगढ़ किला सिर्फ एक किला नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति, शौर्य और गौरव का प्रतीक है। यह किला हमें याद दिलाता है कि भारत की ऐतिहासिक धरोहरें कितनी समृद्ध रही हैं और इनका संरक्षण कितना ज़रूरी है।